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( २३ ) विहीन प्रतिमा के पूजने से कुलक्षय और चरण विहीन प्रतिमा के पूजने से धनक्षय होता है। धातुलेपादिजं बिम्ब, व्यङ्गं संस्कारमर्हति । काष्ठपाषाणनिष्पन्नं, संस्कारार्ह पुनर्नहि ॥ १ ॥
-सोना, चांदी आदि धातुओं का और लेपादि से चित्रित बिम्ब यदि किसी अङ्ग में खंडित हो जाय तो वह सुधराने योग्य है, लेकिन काष्ठ तथा पाषाण का बना बिम्ब विकलाङ्ग होने पर सुधराने योग्य नहीं है।
इस आज्ञा से निःसन्देह सिद्ध हो जाता है कि पाषाणमय प्रतिमा यदि उत्तमाङ्ग विकल हो जाय तो वह सुधरा कर के भी पूजने योग्य नहीं हो सकती। अस्तु. ५ नवीन वीरप्रतिमा, और प्रशस्ति लेख
श्रीमहावीरस्वामी की नवीनप्रतिमा की पालगठी की बैठक पर नीचे मुताबिक लेख खुदा हुआ है
" श्रीविक्रमात्संवत् १९५६ वर्षे वैशाखसुदि १५
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