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(२२) माचार्यादिकों से विधिपूर्वक स्थापित मूलनायक बिम्ब यदि मुखनयनादि उत्तमाङ्गों से विकल हो तो पूजने लायक नहीं है। परन्तु यदि वह आधार, परिकर और लंछन आदि से विकल हो तो पूजने लायक है । क्यों कि वह निष्फल, या निष्कल (अधिष्ठायक शून्य) नहीं होता।
प्रश्न-उत्तमाङ्ग विकल प्रतिमा को यदि सुधरा के पूजी जाय तो क्या दोष है ?
उत्तर-शास्त्रकारोंने उत्तमाङ्ग विकल प्रतिमा को पूजन योग्य नहीं कही और ऐसी विकल प्रतिमा के पूजने के विषय में विवेक विलास-कारने साफ लिखा है किनखाङ्गुलीषाहुनाशांघीणां भङ्गेष्वनुक्रमात् । शत्रुभिर्देशभङ्गश्च, बन्धकुलधनक्षयः ॥३॥
-नख और अंगुली विहीन प्रतिमा की पूजा करने से पूजा करनेवालों को शत्रुओं से भय होता है। कर विहीन प्रतिमा के पूजने से पूजकों को कैदखाने में पड़ने का भय होता है । नासिका
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