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(२०) स्मृति के लिये बाहर मंडप के ताक में कायम रक्खी , जो वहाँ अब तक मंदिर के मंडप में ही विराजमान है ।
इसी शिष्टाचरणानुसार शास्त्रीय आज्ञाओं का पालन करने के लिये श्रीविजयराजेन्द्रसूरीश्वरजीने कोरटा के वीर मन्दिर में प्राचीन विकलाङ्ग मूर्ति को मंडप में कायम रक्खी और पब्बासण पर नयी सुन्दर मूर्ति स्थापन की। यह कार्य आशातना का द्योतक नहीं, किन्तु शास्त्राज्ञाओं का पालक है।
४ विकलाङ्ग प्रतिमा के लिये शास्त्राज्ञाबरिससयानो उड्ढे, जं बिंब उत्तमेहिं संठवियं । बियलंगुवि पूइजा, तं बिंब निष्फलं न जो॥१॥
अत्र पुनरयं विशेषः-मुखनयननऋग्रीवाकटिप्रभृतिप्रदेषु भग्नं मूलनायकबिम्बं सर्वथैव पूजयि. तुमयोग्यम् । आधारपरिकरलांछनादिप्रदेशेषु तु खंडितणपि तत्पूजनीयमिति। आत्मप्रबोध १ प्रस्ताव ।
-उत्तमाचार्यादि से प्रतिष्ठित बिम्ब जो
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