Book Title: Kortaji Tirth ka Itihas Sachitra
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Sankalchand Kisnaji

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Page 44
________________ (१९) कर उसके स्थानपर नवीन प्रतिमा बैठा देना यह एक प्रकार की आशातना है ? उत्तर-यह आशातना नहीं किन्तु शास्त्रकार महर्षियों की आज्ञा और शिष्टाचरणा का पालन करना है। जिस प्रतिमा के दर्शन-पूजन करनेवालों को लाभ के बजाय उलटा नुकशान पहोंचता हो वैसी उसमाङ्ग विकल प्रतिमा को उठा कर उसके स्थान पर सर्वाङ्ग-सुन्दर प्रतिमा विराजमान करने से आशातना नहीं है। इन्हीं बातों का पूर्वापर वि. चार करके शास्त्राज्ञाओं का मान रखने के लिये जालोर के सोनागिर पर परमार्हत् महाराजा कुमारपाल के मंदिर में हेमचन्द्राचार्य स्थापित मुख नयनादि विकलाङ्ग महावीर प्रतिमा को भ० विजयदेवसूरिजी की आज्ञासे पं० जयसागरगणिने उठा कर, उसके स्थान पर दूसरी महावीर प्रतिमा सं०१६८१ में स्थापन की और हेमचन्द्राचार्य प्रतिष्ठित विकलाङ्ग प्रतिमा को प्राचीन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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