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(८) कायम किया था । खरतरगच्छीय श्रीजिनदत्तसूरिजीने इसी देश में एक लाख तीस हजार क्षत्रियों को उपदेश देकर जैनी बनाया था। संखेश्वरगच्छीय श्रीउदयप्रभसूरिजीने इसी देश के श्रीमाल नगर में प्रतिबोध देकर हजारों जैनेतर कुटुम्बों को जैनी बनाया था और वादी प्रबर श्रीवृद्धदेवसूरिजीने इसी पवित्र देश के कोरंटनगर में तीस हजार पांचसौ कुटुम्बों को उपदेश दे करके जैनी बनाया था।
परमार राजा नागभट ( नाहडदेव )ने इसी देश के सत्यपुर में महावीर तीर्थ की स्थापना करके उसकी प्रतिष्ठा जजगसूरिजी के कर-कमल से कराई थी। बलद्राचार्यने इसी देश के हस्तिकुंडी नगर में विदग्धराज (विग्रहराज ) से दानपत्र लिखवाया था । वादिवेताल श्रीशान्त्याचार्य ने इसी देश के नाडोल नगर में मुनिचन्द्रसूरि को न्यायशास्त्र पढाया था और
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