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इअ ते दिणा पसत्था, ता सेसेहिपि तेस कायव्वं । जिणजत्तादि सहरिसं ते, य इमे वद्धमाणस्स ॥ ४ ॥ आसाढ़ सुद्धि छट्ठी, चित्ते तह सुद्धि तेरसी चैव । मग्गसिर कन्हा दसमी, वहसाहि सुद्ध दसमी य ॥ ५ ॥ कति कन्हा चरिमा, गब्भाई दिणा जहक्कम एते । हत्थुत्तरजोएणं चउरो, तह साइणा चरमो ॥ ६ ॥ अहिगय तित्थविहिया, भगवन्ति निदंसिआ इमे तस्स । सेसाणवि एवं चिअ, निअ निअ तित्थेसु विण्णेआ ॥७॥
“आ. हरिभद्रसूरिकृत यात्रा पंचासक ग्रन्थ प. प., पृ. ३२८ उपरोक्त लेख में आचार्य हरिभद्रसूरि ने भगवान महावीर के कल्याणकों के लिए अलग अलग तिथियाँ लिखी हैं जैसे
१. आषाढ़ शुक्ल ६ को महावीर का च्यवन कल्याणक। २. चैत्र शुक्ल १३ को महावीर का जन्म कल्याणक। ३. मार्गशीर्ष कृष्ण १० को महावीर का दीक्षा कल्याणक। ४. वैशाख शुक्ल १० को महावीर का केवलज्ञान कल्याणक ५. कार्तिक कृष्ण १४ को महावीर का निर्वाण कल्याणक
अब आगे चल कर आप देखिये इसी पंचासक ग्रंथ पर अभयदेवसूरि ने टीका रची है जिसमें आप क्या लिखते हैं।
वर्धमानस्य-महावीरजिनस्य भवन्तीतिगाथार्थ आषाढ़ गाहाआषाढशुद्धषष्टी-आषाढ़मासशुक्लपक्षेषष्ठीतिथिरित्येकं दिनं १ एवं चैत्रमासे तथेति समुच्चये शुद्धत्रयोदश्येवेति द्वितीयं २ चैवेत्यवधारणे, तथा मार्गशीर्षकृष्णदशमीति तृतीय ३ वैशाखे शुक्ल दशमीति चतुर्थ ४ च शब्द समुच्चयार्थः कार्तिककृष्णेचरमो पंचदशीति पंचमं ५ एतानि किमित्यहगर्भादिदिनानि (१) गर्भ (२) जन्म (३) निष्क्रमण (४) ज्ञान (५) निर्वाणदिवसाः यथाक्रमं क्रमेणैव ।
अभयदेवसूरि कृत पंचासक टीका, प्र. प., पृ. ३३० इस टीका में भी भगवान महावीर के पांचकल्याणक की पांच तिथियां अलग अलग लिखी हैं जैसे
१. आषाढ़ शुक्ला ६ को महावीर का च्यवन कल्याणक। २. चैत्र शुक्ला १३ को महावीर का जन्म कल्याणक। ३. मार्गशीर्ष कृष्णा १० को महावीर का दीक्षा कल्याणक।