Book Title: Khartar Gaccha Ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 241
________________ २४१ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww खरतरों का गप्प पुराण (लेखक-केसरीचन्द चोरड़िया) ओसवाल यह उपकेशवंश का अपभ्रंश है और उपकेशवंश यह महाजन वंश का ही उपनाम है, इसके स्थापक जैनाचार्य श्री रत्नप्रभसूरीश्वरजी महाराज हैं। आप श्रीमान् भगवान पार्श्वनाथ के छठे पट्टधर थे और वीरात ७० वर्षे उपकेशपुर में क्षत्रीय वंशादि लाखों मनुष्यों को मांस मदिरादि कुव्यसन छुड़ा कर मंत्रों द्वारा उन्हों की शुद्धि कर वासक्षेप के विधि विधान से महाजन वंश की स्थापना की थी, इस विषय के विस्तृत वर्णन के लिये देखो "महाजन वंश का इतिहास।" महाजन वंश का क्रमशः अभ्युदय एवं वृद्धि होती गई और कई प्रभावशाली नामाङ्कित पुरुषों के नाम एवं कई कारणों से गोत्र और जातियां भी बनती गई। महाजन संघ की स्थापना के बाद ३०३ अर्थात् वीर निर्वाण के बाद ३७३ वर्षे उपकेशपुर में महावीर प्रतिमा के ग्रंथी छेद का एक बड़ा भारी उपद्रव हुआ जिसकी शान्ति आचार्य श्रीकक्कसूरिजी महाराज के अध्यक्षत्व में हुई, उस समय निम्नलिखित १८ गोत्र के लोग स्नाात्रीय बने थे, जिन्हों का उल्लेख उपकेश गच्छ चरित्र में इस प्रकार से किया हुआ मिलता है, उक्तं च। तप्तभटो बाप्पनागस्ततः कर्णाट गोत्रजः । तुय बलाभ्यो नामाऽपि श्री श्रीमाल पञ्चमस्तथा ॥१६६ ॥ कुलभद्रो मोरिषश्च, विरिहिद्याह्नयोऽष्टमः ।। श्रेष्टि गौत्राण्यमून्यासन, पक्षे दक्षिण संज्ञके ॥ १७० ॥ सुन्चितिताऽदित्यनागौ, भूरि भाद्रोऽथ चिंचटि । कुमट कन्याकुब्जोऽथ, डिडूभाख्येष्टमोऽपि च ॥ १७१ ॥ तथाऽन्यः श्रेष्टिगौत्रीय, महावीरस्य वामतः । नव तिष्टन्ति गोत्राणि, पञ्चामृत महोत्सवे ॥ १७२ ॥ (१) तप्तभट (तातेड़) (२) बाप्पनाग (बाफना') (३) कर्णाट (कर्णावट) (४) वलाह (रांका बांका सेठ) (५) श्रीश्रीमाल (६) कुलभद्र (सूरवा) (७) मोरख १. नाहटा, जांघड़ा, वैताला, पटवा, बलिया, दफ्तरी वगैरह।

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