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हो गये। जिनदत्तसूरि ने उन पुत्रों को अच्छा कर जैन बनाये। इत्यादि।
कसौटी-अव्वल तो चंदेरी पूर्व में नहीं पर बुन्देलखंड में थी', दूसरा चंदेरी में राज राठौड़ों का नहीं पर चेदी वंशियों का होना इतिहास स्पष्ट बतला रहा हैं। तीसरा उस समय भारत पर यवनों का आक्रमण हो रहा था जिसका बचाव करना तो एक विकट समीक्षा बन चुकी थी। तब खरहत्थ अपने चार पुत्रों को लेकर काबली मुल्क का रक्षण करने को जाय यह बिलकुल ही असंभव बात है और काबली मुल्क को लूटने वाले यवन भी कोई गाडरियों नहीं थी कि चार लड़का उनको भगा दें। भले यतिजी को पूछा जाय कि खरहत्थ के चार पुत्र यवनों को भगा दिया तो वे स्वयं मुच्छित कैसे हो गये और मुच्छित हो गये तो यवनों को कैसे भगा दिया? यदि कहा जाय कि यवनों को भगाने के बाद मुच्छित हुए तो इसका कारण क्या? कारण अपनी स्वस्थ्यावस्था में यवनों को भगाया हो तो फिर उनको मुच्छित किसने किया? वाह वाह यतिजी यदि ऐसी गप्प नहीं लिख कर किसी थली के एवं पुराणा जमाना के मोथों को या भोली-भाली विधवाओं को एकान्त में बैठकर ऐसी बातें सुनाते तो इसकी कोड़ी दो कोड़ी की कीमत अवश्य हो सकती।
खरतरों ने हाल ही में चोरडियों के विषय में एक ट्रक्ट लिखा है, जिसमें विक्रम की चौदहवीं शताब्दी के दो शिलालेख 'जो चोरड़ियों के बनाई मूर्तियों की किसी खरतराचार्यों ने प्रतिष्ठा करवाई है' मुद्रित करवा कर दावा किया कि चोरडिया खरतरगच्छ के हैं।
चोरडिया जाति इतनी विशाल संख्या में एवं विशाल क्षेत्र में फैली हुई थी कि जहाँ जिस गच्छ के आचार्यों का अधिक परिचय था उन्हों के द्वारा अपने बनाये मन्दिर की प्रतिष्ठा करवा लेते थे, केवल खतरत ही क्यों पर चोरड़ियों के बनाये मन्दिरों की प्रतिष्ठा अन्य भी कई गच्छवालों ने करवाई है तो क्या वे सब गच्छवाले यह कह सकेगा कि हमारे गच्छ के आचार्यों ने प्रतिष्ठा करवाई वह जाति ही हमारे गच्छ की हो चुकी? नहीं कदापि नहीं । 'हम चोरड़िया खरतर नहीं है' नामक ट्रक्ट में चोरडिया जाति के जो चार शिलालेख दिये हैं वे प्रतिष्ठा के लिये नहीं पर उन शिलालेखों में चोरड़ियों का मूल गौत्र आदित्यनाग लिखा है। मेरा खास अभिप्राय खरतरों को भान करने का था कि चोरड़ियों का मूल गौत्र आदित्यनाग हैं न की राजपूतों से जैन होते ही चोरड़िया कहलाये जैसे खरतरों ने लिखा है। १. हाल में खरतरों ने नयी शोध से खाच तान कर चन्देरी को पूर्व में होना बतलाया है
पर इसमें कोई भी प्रमाण नहीं और न वहां राठौड़ों का राजा ही साबित होता है।