Book Title: Khartar Gaccha Ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

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Page 248
________________ २४८ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww विक्रम वि. सं. १२०१ । कीर्तिपाल चौहान वि. सं. १२३६ में जालौर पर अपना अधिकार जमाया। यशोधवल धारावष जिसका वंशवृक्ष कीर्तिपाल संग्रामसिंह उदयसिंह (जालौर पर) मानसिंह (सिरोही गया) प्रतापसिंह विजल महाराव लुंभा (आबु का राजा हुआ) इस खुर्शीनामा से स्पष्ट सिद्ध होता है कि विक्रम की चौदहवीं शताब्दी में सिरोही के चौहान आबु के पवारों से आबु का राज छीन कर अपना अधिकार जमाया था जिसको यतिजी ने बारहवीं शताब्दी लिख मारी है। बलीहारी है यतियों के गप्प पुराण की अब सागर राणा और मालवा का बादशाह का समय का अवलोकन कीजिये। यतिजी ने सागर का समय वि. सं. ११७० के आसपास का लिखा है और "चित्तौड़ पर मालवा का बादशाह चढ़ आया तब चित्तौड़ का राणा अपनी मदद के लिये आबु से सागर देवड़ा को बुलाया और सागर ने बादशाह को पराजय कर उससे मालवा छीन लिया।" यह भी एक उड़ती गप्प ही है क्योंकि न तो उस समय चित्तौड़ पर राणा रत्नसिंह का राज था और न मालवा में किसी बादशाह का राज ही था। वि. सं.

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