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चावड़ा वंश के राजा १. वनराज चावड़ा, राज्य काल - वि. सं. ८०२ से ८६२ तक कुल ६० वर्ष २. योगराज चावड़ा, राज्य काल - वि. सं. ८६२ से ८९७ तक कुल ३५ वर्ष ३. खेमराज चावड़ा, राज्य काल - वि. सं. ८९७ से ९२२ तक कुल २५ वर्ष ४. भूवड़ चावड़ा, राज्य काल - वि. सं. ९२२ से ९५१ तक कुल २९ वर्ष ५. वैरीसिंह चावड़ा, राज्य काल - वि. सं. ९५१ से ९७६ तक कुल २५ वर्ष ६. रत्नादित्य चावड़ा, राज्य काल - वि. सं. ९७६ से ९९१ तक कुल १५ वर्ष ७. सामन्तसिंह चावड़ा, राज्य काल - वि. सं. ९९१ से ९९८ तक कुल ०७ वर्ष
इस तरह चावड़ा वंश के राजाओं ने १९६ वर्ष राज्य किया, अनन्तर सोलंकी वंश का राज हुआ वह क्रम इस प्रकार है :
सोलंकी वंश के राजा ८. मूलराज सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. ९९८ से १०५३ तक कुल ५५ वर्ष ९. चामुण्डराय सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. १०५३ से १०६६ तक कुल १३ वर्ष १०. वल्लभराज सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. १०६६ से १०६६।। तक केवल ६ मास ११. दुर्लभराज सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. १०६६।। से ११७८ तक कुल ११॥
वर्ष
१२. भीमराज सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. ११७८ से ११२० तक कुल ४२ वर्ष १३. करणराज सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. ११२० से ११५० तक कुल ३० वर्ष १४. जयसिंह सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. ११५० से ११९९ तक कुल ४९ वर्ष १५. कुमारपाल सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. ११९९ से १२३० तक कुल ३१ वर्ष १६. अजयपाल सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. १२३० से १२६६ तक कुल ३६ वर्ष १७. मूलराज सोलंकी, राज्य काल - वि. सं. १२६६ से १२७४ तक कुल ८ वर्ष
सोलंकी वंश के राजाओं ने २७६ वर्ष तक राज्य किया, बाद में पाटण का राज बाघलावंश के हस्तगत हुआ। उन्होंने विक्रम सं. १३५८ तक कुल ८४ वर्ष राज्य किया, फिर पाटण की प्रभुता आर्यों छिनकर मुसलमानों के अधिकार में चली गई।
इस भूपावली से यह सिद्ध होता है कि वि. सं. १०८० में पाटण में दुर्लभ राजा का राज्य नहीं पर भीमराज का राज्य था। इस हालत में यह बात बिलकुल निराधार ठहरती है कि वि. सं. १०८० में दुर्लभ की राज्यसभा में शास्त्रार्थ हुआ
और वहाँ दुर्लभ राज ने जिनेश्वरसूरि को "खरतरबिरुद" दिया। इसी प्रकार जैनाचार्य मेरुतुंगसूरि ने भी अपनी "विचार श्रेणी में दुर्लभ राज का राज्य काल