Book Title: Khartar Gaccha Ka Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyan Pushpmala

View full book text
Previous | Next

Page 236
________________ २३६ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww इसका मूल गच्छ उपकेशगच्छ ही हैं। हा, बाद में किसी अन्य गच्छ का अधिक परिचय होने से वे किसी अन्य गच्छ की क्रिया करने लग गए हो यह एक बात दूसरी है पर ऐसा करने से उनका गच्छ नहीं बदल जाता है। अतएव उएश-उकेशउपकेशवंश वालों का गच्छ उपकेशगच्छ ही हैं। (६) आचार्य रत्नप्रभसूरिने उपकेशपुर (ओसियां) में ओसवाल नहीं बनाए तो फिर ये किसने और कहाँ बनाये? तथा ये ओसवाल कैसे कहलाए ? क्या हमारे खरतर भाई इसका समुचित उत्तर दे सकेंगे? (७) यदि खरतरगच्छीय आचार्योंने ही ओसवाल बनाये हो तो फिर इन ओसवालों के मूलवंश के आगे उपकेशवंश क्यों लिखा मिलता है जो कि हजारों शिलालेखों में आज भी विद्यमान हैं? हमारा तो यही एकान्त सिद्धान्त है कि यह उपकेशवंश का निर्देश उपकेशपुर और उपकेशगच्छ को ही अपना मूल स्थान और उपदेशक उद्घोषित करता है। (८) यदि खरतरगच्छ के आचार्योंने ही ओसवाल बनाए हैं तो फिर इन ओसवालों की जातियों के साथ उपकेशवंश नहीं पर खरतरवंश ऐसा लिखा होना चाहिये था, पर ऐसा कहीं भी नहीं पाया जाता है। अतः आप को भी मानना होगा कि ओसवालों का मूलवंश उपकेशवंश है और यह उपकेशगच्छ एवं उपकेशपुर का ही सूचक है। जैसे नागोरियों का मूल स्थान नागोर, जालोरियों का जालोर, रामपुरियों का रामपुर, फलोदियों का फलोदी और बोलंदियों को बोरुदा है वैसे ही उपकेशियों का मूल स्थान उपकेशपुर (ओसियां) है तथा कोरंट, शखेसरा, नाणावाल, संडेरा, कूर्चपुरा, हर्षपुरा आदि गच्छ गाँवों के नाम से ही हैं, ऐसे ही उपकेशगच्छ भी उपकेशपुर में उपकेशवंशीया श्रावकों का प्रतिबोध होने से प्रसिद्धि में आया है। (९) यदि खरतरगच्छाचार्योंने ही ओसवाल बनाये ऐसा कहा जाय तो यह कहां तक सङ्गत है ? क्योंकि ओसवाल (उपकेशवंश) के अस्तित्व में आने के समय तक खरतरों का जन्म भी नहीं हुआ था। कारण खरतरगच्छ तो आचार्य जिनदत्तसूरि की प्रकृति के कारण विक्रम की बारहवीं शताब्दी में पैदा हुआ है और ओसवाल (उपकेशवंशी) विक्रम पूर्व ४०० वर्षों में हुए हैं। अर्थात् खरतरगच्छ के जन्म से १५०० वर्ष पूर्व ओसवाल हुए हैं तो उन १५०० वर्ष पहले बने हुए ओसवालों को खरतर गच्छाचार्योंने कैसे बनाये होंगे? सभ्य समाज इस बात को समझ सकता हैं। इस विषय के लिये मेरी लिखी "ओसवाल ज्ञाति समय निर्णय" "ओसवालोत्पत्ति विषयक शंकाओं का समाधान" और "जैन जातियों के गच्छों का इतिहास" नामक पुस्तके मंगाकर पढिये। उनसे स्वतः स्पष्ट हो जायेगा कि ओसवाल किसने बनाये

Loading...

Page Navigation
1 ... 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256