Book Title: Kasaypahudam Part 13
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatvarshiya Digambar Jain Sangh
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पृ. सं.
( ४० )
पृ. सं. पर किस कर्मका कितना स्थिति- | इस कालमें गुणश्रेणीका विचार ३२७
बन्ध होता है इसका निर्देश ३१५ | प्रथम गुणश्रेणिशीर्ष में प्रदेशोदय कितना कृष्टिकरण कालके अन्तिम समयमें किस होता है इसका निर्देश ३२८
कर्मका कितना बन्ध होता है इसका उपशान्त कषायके कालमें केवलज्ञानाविचार
३१६ वरण और केवलदर्शनावरणका कौन कृष्टियाँ कब उदीर्ण होती हैं इसका
अवस्थित वेदक होता है इसका निर्देश
३२१ निर्देश कृष्टियोंके उपशमानेके क्रम और समय
निद्रा-प्रचल का जब तक वेदक होता है . का निर्देश
३२३
अवस्थित वेदक होता है इसका शेष नवकबन्धके उपशमानेका निर्देश ३२४
निर्देश
३३१ छोड़ी गई उदयावलिके कृष्टिरूपसे परिण
मन कर उदयको प्राप्त होनेका निर्देश ३२४ अन्तरायका अवस्थित वेदक होता है द्वितीय समयसे लेकर आगे किन कृष्टियों
इसका निर्देश
३३१ का किस प्रकार विपाक होता है
शेष लब्धि कर्मांशोंके उदयकी वृद्धि, इसका निर्देश
३२४ हानि व अवस्थान सम्भव है इसका सूक्ष्मसाम्परायके अन्तिम समयमें कर्मों
निर्देश
३३२ के स्थितिबन्धका निर्देश ३२५ परिणामप्रत्यय नाम और गोत्रके अनुउपशान्तकषायके कालमें परिणाम
भागोदयका अवस्थितवेदक होता अवस्थित रहता है इसका निर्देश ३२७ है इसका निर्देश
३३३