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जीने का उसूल
आलस्य
आलस्य अमावस है, पुरुषार्थ पूनम है। बताइये, आप अपने जीवन में अमावस चाहते हैं या पूनम? देर मत कीजिए। पूनम के लिए पहल शुरू कर दीजिए।
आलोचना
जो आपकी आलोचना करे, आप उसकी प्रशंसा कीजिए। उसकी दिशा अपने आप बदल जाएगी।
आवश्यकता और इच्छा
आवश्यकता पेट की होती है, इच्छा पेटी की। आवश्यकताओं को इतना भी न बढ़ाएँ कि वह इच्छाओं का भिक्षापात्र थाम ले।
आविष्कार
हर सफल आविष्कार के गर्भ में कई प्रयोग समाए होते हैं।
आशा
क्रूर से करुणा की और बिच्छू से अमृत की आशा करना व्यर्थ है।
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