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जीने का उसूल दिशा
हम आकाश को भले ही न छू पाएँ, किन्तु उसके सितारों के आलोक में अपनी दिशा तो ढूँढ ही सकते हैं।
दुआ
जहाँ दवा असफल हो जाती है, वहाँ दुआ ही आशा की किरण बनती है।
दुल्हन-दूल्हा
दूल्हा-दुल्हन मिलने के बाद बारातियों की परवाह कौन करता है?
दुःख-मुक्ति
दुःख से मुक्त रहना चाहते हो, तो स्वयं को सदा व्यस्त
रखो।
दुश्चरित्र
व्यक्ति या समाज स्वयं चाहे जैसा हो, पर सार्वजनिक जीवन से जुड़े हुए व्यक्ति पर दुश्चरित्र की छाया भी वह सहन नहीं कर सकता।
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