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जीने का उसूल
सम्बन्ध
वह सम्बन्ध प्रेम का उपहार है, जिसमें सदा अपनापन का अहसास रहता है।
सम्बन्ध-संभावना
इस अज्ञात संसार में न जाने कब किससे काम निकालना पड़े, कहा नहीं जा सकता। फिर किसी से वैर क्यों मोल लिया जाए?
सम्बन्ध-शैथिल्य
गहरे सम्बन्ध भी समय और स्थान की दूरी से ढीले पड़ जाते हैं।
सम्यक् मन्दिर
मन में शान्ति हो, तो असली मंदिर मनुष्य के अन्तर्मन में है।
सर्वधर्म-सम्मान
अच्छे लोग और अच्छी बातें हर धर्म में हैं। फिर क्यों न हम सब धर्मों का सम्मान करें?
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