Book Title: Jine ke Usul
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 137
________________ जीने का उसूल हीरा-मोती छिदने वाला मोती बनता है, कटने वाला हीरा। हृदय शरीर के सौन्दर्य से बढ़कर है हृदय का सौन्दर्य। मिश्री के माधुर्य से बढ़कर है हृदय का माधुर्य। हृदय-सामीप्य घर भले ही दूर हों किन्तु हृदय हमेशा अपने पास रहे। होना और खोना खोए की चिंता मत कीजिए और जो अभी नहीं हुआ है, उसके बारे में सोच-सोचकर दिमाग को बोझिल मत बनाइए। जीवन को सहजता से जिएँ और हर हाल में मस्त रहें। होश जीवन में हर कदम पर होश का दीप थामे रखिए; अंधकार आप पर हावी नहीं होने पाएगा। For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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