________________
११६
जीने का उसूल समाज-हित
निजी हितों से ऊपर उठकर ही समाज के हितों को साधा जा सकता है।
समाप्ति
हर मकान को सौ वर्ष बाद नया रूप दे देना चाहिये और हर धर्म को हजार वर्ष बाद।
समालोचना
दूसरों की समालोचना करने वाले, पहले खुद को आईने में देख लें।
सम्प्रदाय-उत्पत्ति
हर सम्प्रदाय का जन्म धर्म में प्रविष्ट राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा का परिणाम है।
सम्प्रदाय और धर्म
सम्प्रदाय व्यवहार और व्यवस्था के लिए है जबकि धर्म साधना और सिद्धि के लिए।
सम्पत्ति
सम्पत्ति का अर्जन धनाढ्य व्यक्ति का लक्षण है, लेकिन उसका समर्पण महान् व्यक्ति की पहचान है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org