Book Title: Jine ke Usul
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 121
________________ ११४ जीने का उसूल सत्त्वभोजी सदा सात्त्विक भोजन कीजिए, आपका स्वभाव स्वत: ही सात्त्विक रहेगा। सद्व्यवहार हो न स्वयं को जो स्वीकार, करें नहीं ऐसा व्यवहार। सद्विचार अच्छे विचारों के कारण बुरे अंजामों से बचा जा सकता है। सन्त-पुरुष वह पुरुष सन्त है, जो समाज में रहकर सबकी भलाई करे। सफलता सफलता के शिखर वही छू सकता है, जो लक्ष्य को पाने के लिए आत्मविश्वास के साथ कठिन मेहनत किया करता है। सफलता और लक्ष्य सफलता उन्हीं के हाथ लगती है, जिनका चरम लक्ष्य हर हालत में मंजिल को पाना है। For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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