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जीने का उसूल
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सत्य और समझ
सत्य की जन्मपत्री न जाने किस विधाता ने लिखी है कि सौ बार समझाने पर भी वह समझ में नहीं आता।
सत्यजीवी
यह झूठी दुनिया सत्य के लिए जीने वालों को सलीब के सिवाय दे भी क्या सकती है?
सत्य-मैत्री
सत्य का कोई साथी नहीं है, परन्तु वह सबका साथी है।
सत्य-स्वीकृति
सत्य कितना भी कड़वा क्यों न लगे, उसे स्वीकारना ही होगा।
सत्यानुभव
न सूचनाओं का अन्त है, न सम्मान का। हम स्वयं को उस सत्य को जानने के लिए समर्पित करें जो कि सम्पूर्ण चराचर जगत् की आत्मा है।
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