Book Title: Jine ke Usul
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 119
________________ ११२ जीने का उसूल सच-झूठ दूसरे को हानि पहुँचाने वाले सत्य को बोलने से तो वह झूठ बेहतर है, जो दूसरे की सहायता करे। सजाना घर में बिखरे हुए साजो-सामान को सजाइये। यह अपनेआप में योगासन ही है। सतर्कता जो मित्रों और सम्बन्धियों से सँभल कर नहीं चलता, वह दुश्मन से भी मात खा जाता है। सत्कार-दुत्कार औरों की भावनाओं का सत्कार करना सीखें, उन्हें दुत्कारना नहीं। सत्य सत्य सदा मधुर होता है। कृपया उसे अपनी कड़वी जबान के कारण कड़वा मत बनाइये। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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