Book Title: Jine ke Usul
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 118
________________ १११ जीने का उसूल संवाद सितारों से बतियाने वाले लोग अदृश्य संकेतों को भी ग्रहण कर लेते हैं। संसार-स्वर्ग साफ-सुथरा घर और हँसता-खिलता परिवार - यही संसार का स्वर्ग है। सकारात्मक काँटों पर ध्यान दोगे, तो काँटों में ही उलझकर रह जाओगे। फूलों पर ध्यान दोगे तो काँटों से स्वत: ऊपर उठ जाओगे। सकारात्मक दृष्टि सकारात्मक दृष्टि स्वर्ग की निर्माता है, नकारात्मक दृष्टि नरक की आधारशिला का प्रवेश-द्वार है। अपनी दृष्टि को बेहतर बनाइये, आपका हर दरवाजा स्वर्ग का दरवाजा बन जाएगा। सक्रिय-निष्क्रिय काम करते हुए गलती होना पाप नहीं है, पर निठल्ले बैठे रहना सबसे बड़ा अपराध है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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