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जीने का उसूल संतुष्ट
जो प्राप्त को आनन्दपूर्वक जीना नहीं जानता, वह दुनिया भर की दौलत को पाकर भी असंतुष्ट ही रहता है।
संदेश-दान
कैदियों को उस संदेश का स्वामी बनायें, जिससे वे अपने अन्तर्मन के मैल को हटा सकें।
सन्देह और भ्रान्ति
रस्सी को सर्प मानना उतना खतरनाक नहीं है, जितना सर्प को रस्सी मान बैठना।
संन्यास
प्रत्येक व्यक्ति संन्यासी बने और संन्यासी इस अर्थ में कि वह अपने जीवन में पलने वाली बुराइयों और अंधविश्वासों का त्याग करे।
संयम
वाणी पर संयम रखने से मन पर अधिकार हो जाता है किन्तु मन पर संयम करने से सम्पूर्ण जीवन पर अधिकार हो जाता है।
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