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जीने का उसूल शान्ति और समाधि
उत्तेजना भरे वातावरण में स्वयं को शान्त बनाये रखना समाधि को जीना है।
शान्ति-सुख
शान्ति के सुख को शान्त व्यक्ति ही समझ सकता है।
शास्त्र
विरोध के भाव हों, तो शास्त्र भी लड़ने के शस्त्र बन जाते हैं। सहयोग के भाव हों, तो वे ही सेतु का काम करने लगते हैं।
शास्त्र-अनुभव
बिना शास्त्र ईश्वर मौन है और बिना अनुभव सत्य अंधकार में भटकता है।
शास्त्र-सत्य
शास्त्र सत्य के दरवाजों को खुलवाने वाला मेहमान है।
शुरूआत
ऊँची मंजिलों तक पहुँचने के लिए शुरूआत तो पहली सीढ़ी से ही करनी होगी।
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