Book Title: Jine ke Usul
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 113
________________ १०६ शून्य - साधना शैतान शैशव शोध वह जिसे 'कोरी पुस्तिका' पढ़ने में नीरसता नहीं लगती, शून्य की साधना से विचलित नहीं हो सकता । हमारी प्रार्थना से परमात्मा प्रसन्न हों या न हों, पर शैतान जरूर नाखुश होता है । बचपन जीवन की नींव है । इमारत को लिए नींव को सुन्दर सुदृढ़ बनाइये । श्रद्धा और वासना - जीने का उसूल 'खूबसूरत जो घर में खोई हुई सुई को बाहर ढूँढते हैं, वे स्वयं को दूर कर रहे हैं। Jain Education International यदि प्रेम का संस्कार श्रद्धा है तो प्रेम का विकार वासना कहलाती है। For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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