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जीने का उसूल
भाग्यवान
भार
भारत
ऐसे भाग्यवान विरले ही होते हैं जिनका सूरज उगने के बाद अस्त होने का नाम नहीं लेता ।
चन्दन हो या काठ, गधे के लिए दोनों ही सिर्फ बोझा हैं।
भारत का भाग्योदय तभी होगा जब यहाँ का हर नागरिक राष्ट्रीय - भावना को प्राथमिकता देगा |
भावना
भावना भीतर की भाषा है । भावना को जितना सकारात्मक रखेंगे, भाषा उतनी ही सुमधुर होगी।
भावना- प्रकट
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मनुष्य की भावना जब प्रगाढ़ होती है, तो जबान की बजाय आँख से ही प्रकट होती है ।
भावना-भड़ाँस
भावनाएँ पूरी कीजिए, पर भड़ाँस पर नियन्त्रण रखिए ।
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