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जीने का उसूल मातृत्व-कामना
हे प्रभु ! सबको माँ की तरह बना, ताकि सारा संसार प्यार और वात्सल्य पा सके।
मातृ-गोद
कोई कितना भी क्यों न थका हो, माँ की गोद में सिर रखकर सोने से हर थकान उतर जाती है।
मातृ-वात्सल्य
माता अपने दूसरे बच्चे को भी उतना ही प्यार देती है जितना पहले को। लड्डू में सारे दाने आखिर मीठे ही होते हैं।
माधुर्य
श्रद्धा के सागर की गहराई में माधुर्य के मोती चमकते हैं।
माधुर्य-कला
पीठ पीछे कोई कुछ भी कहे, पर यदि तुम्हारे पास मधुर बोलने की कला है, तो मुँह पर तुम्हीं सवासेर रहोगे।
मानवीयता
मानवता के गिरते मन्दिर को देखकर आँसू आना हमारी करुणा है, किन्तु उसका पुनर्निर्माण करना हमारा कर्तव्य है।
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