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जीने का उसूल मृत्यु - निर्वाण
प्रभु, यह वर दे कि मृत्यु भी जीवन का महोत्सव बने, मरण से पहले हम निर्वाण वरें।
मृत्यु- बोध
मृत्यु - विकल्प
जो अभी तक घुटनों के बल भी नहीं चल सकता, उसे मृत्यु का बोध नहीं करवाया जा सकता ।
मेहनत
हम मच्छर के डंक से भले ही परहेज रखें, पर मृत्यु से न घबराएँ, क्योंकि उसका विकल्प नहीं है।
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मोहित
और
दान की चिकनी रोटी खाने की बजाय मेहनत की सूखी रोटी खाना ज्यादा अच्छा है ।
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जो सौन्दर्य को देखकर मोहित नहीं होता, वह या तो योगी
है या रोगी ।
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