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जीने का उसूल राष्ट्र-भक्ति
अपने राष्ट्रीय कर्त्तव्यों को धर्म, पंथ और जाति से भी बढ़कर मानिये।
राष्ट्रीय-अपराध
किसी पूजास्थल या इबादतगाह को क्षति पहुँचाना किसी की श्रद्धा के साथ खिलवाड़ तो है ही, वह राष्ट्रीय अपराध भी है।
रिश्तेदारी
रिश्तों का महत्त्व जानने वाले ही रिश्तों की रक्षा के लिए कुर्बानी दे सकते हैं।
रूढ़ि
जिनका चित्त साम्प्रदायिक रूढ़ियों से भरा है, उनमें धर्म तो कम किन्तु धार्मिक होने का दम्भ अधिक होता है।
रूपान्तरण
संतों को उस कारागार में ले चलो, जहाँ लोग बेड़ियों में जकड़े हैं, ताकि उन्हें वे अपने जैसा बना सकें।
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