Book Title: Jine ke Usul
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 109
________________ १०२ वैराग्य वैराग्य शास्त्रों के अध्ययन से नहीं, बल्कि हृदय पर लगने वाले घावों से उत्पन्न होता है। व्यर्थता गर्मी में गर्म कपड़े पहनना गधे की पीठ पर हाथी का बोझा लादना है। व्यर्थ विचार व्यवहार और धर्म शक्ति जीने का उसूल उन विचारों को कौंधते रहना मानसिक पागलपन है, जिनका कोई लक्ष्य या अर्थ नहीं है। व्यवहार में मिलजुल कर रहने वाले लोग धर्म - स्थानों में जाकर क्यों बँट जाते हैं ? अपने आपको क्षुद्र और हीन मत समझिए । एक छोटी-सी दियासलाई में भी इतनी शक्ति होती है कि वह दावानल तक को जन्म दे सकती है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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