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जीने का उसूल विश्वासघात
किसी का नमक खाकर उसके साथ विश्वासघात करना सबसे जघन्य पाप है।
विशद-दृष्टि
जिसकी दृष्टि विराट् है, उसके लिए तो संसार सागर की तरह विशाल है जबकि शेष के लिए तो वह नदी या तलैया ही है।
वृक्ष
वृक्ष दो घड़े पानी के बदले सौ-सौ फल लौटाता है।
वृत्ति-निवृत्ति-परावृत्ति
संसार की ओर गतिशील वृत्तियों पर रोक लगाना निवृत्ति अवश्य है, पर अध्यात्म तब आत्मसात् होता है, जब वे भीतर की ओर मुड़ें।
वीरता
बन्दूक का घोड़ा दबाना अगर वीरों का काम है, तो ऐसी वीरता बच्चों के बराबर है।
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