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जीने का उसूल भलाई-बुराई
प्यार भलाई से हो, भलों से नहीं, नफरत बुराई से हो, बुरों से नहीं।
भविष्य
यदि भविष्य समझ में आ जाता, तो वह भी वर्तमान हो जाता।
भव्य
दीन से दीन व्यक्ति के मन में भी भविष्य भव्य होता है।
भाग्य
भाग्य हमारे हाथ का लिखा हमारा ही हिसाब-किताब है।
भाग्य और पुरुषार्थ
भाग्य उन्हीं को फल देता है, जो उसका फल पाने के लिए पुरुषार्थ का उपयोग करते हैं।
भाग्य-क्रीड़ा
गिरे हुए को हर कोई ठोकर मारता है और चढ़ते हुए को हर कोई सहारा देता है। भाग्य का यही खेल है।
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