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जीने का उसूल भेंट-वार्ता
भोग
मदद
मिलो मगर सत्कार से, बोलो मगर प्यार से |
काम - भोग का सेवन खुजली को खुजलाना है। इसे जितना खुजलाएँगे, खुजली उतनी ही बढ़ेगी।
हमारे सुख - दुःख में किसी के हाथ न बँटाने का अर्थ यह नहीं है कि हम दूसरों के सुख - दुःख में सहभागी न बनें।
मधुर वाणी
वाणी की मधुरता लोकप्रिय होने का सबसे सरल उपाय है।
मन- प्रसन्नता
मन की प्रसन्नता से सारा संसार स्वर्ग दिखाई देता है।
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मनः शान्ति
ओ रे मन ! रुक जा । कब तक भटकता रहेगा? सयाने बालक की तरह आ, मेरे पास बैठ जा ।
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