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जीने का उसूल बोलना
बोलने का हक सबको है, किन्तु मर्यादा की लक्ष्मण-रेखा को लाँघना स्वयं के लिए आत्म-घातक है।
बोलना
जिसका काम नहीं बोलता, उसके बोलने से क्या अर्थ है?
भयमुक्त
जीवन में सदा भयमुक्त रहिए, क्योंकि मृत्यु एक बार ही आती है और तय वक्त से पहले नहीं आती।
बोलना
बोलना जरूरी है, बकना गुनाह है।
भक्त और भगवान
भक्त प्यास है, भगवान जलधार है। भक्त को प्रणाम है, जो पत्थर में से भी जलधार ढूँढ़ निकालता है।
भक्ति
भक्ति हृदय की आँख है जिससे परमात्मा तक को पाया जा सकता है।
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