________________
६३
जीने का उसूल प्रतिक्रिया
प्रतिक्रियाशील होना औरों के हाथ का खिलौना बन जाना है।
प्रतिज्ञा
दूसरे को दिया जाने वाला आश्वासन तभी पूरा होता है, जब हम उसे वचन और प्रतिज्ञा मानें।
प्रतिभा
किसी की प्रतिभा को उजागर करने में सहयोग न दे सकें, तो कम-से-कम अपने निहित स्वार्थ के लिए उसका गला न घोंटें।
प्रतिभा
प्रभुता के पास है।
अपनी संप्रभुता के चलते किसी की प्रतिभा को कुचल देना अन्याय और अराजकता है।
प्रतिस्पर्धा
प्रतिस्पर्धा पागलपन है। आज तुम किसी और को पछाड़ रहे हो तो वहीं कल तुम किसी और से पिछड़ सकते हो।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org