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जीने का उसूल प्रकाशित
स्वयं जले बिना औरों को रोशनी नहीं दी जा सकती।
प्रकृति
मनुष्य प्रकृति का निर्माता नहीं, सहचर है। प्रकृति परमात्मा की पर्याय है।
प्रकृति-प्रबन्ध
प्रकृति सारे द्वार एक साथ बन्द नहीं करती। यदि एक बन्द हो भी जाये, तो दूसरा खुल भी जाता है।
प्रज्वलन
तीली पहले खुद जलती है, फिर औरों को जलाती है।
प्रणाम
नाम वालों को तो सभी राम-राम कहते हैं। विनम्र वह है जो अनाम को भी प्रणाम करता है।
प्रतिकार
गलत का प्रतिकार करना सत्य की सुरक्षा है।
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