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जीने का उसूल पुत्र-विद्रोह
पुत्र पिता से उस समय विद्रोह कर बैठता है, जब माँ के प्रति पिता की भूमिका संदिग्ध हो जाती है।
पुरुषार्थ
जिनकी हस्तरेखाओं का निर्माण पुरुषार्थ करता है, उन्हें दुर्दिन नहीं देखने पड़ते।
पुरुषार्थ-सिद्धि
केवल पुरुषार्थ से ही सिद्धि प्राप्त हो जाती, तो सभी मजदूर मिल-मालिक हो जाते।
पूज्य
बुरे काम करने वाले कभी पूज्य नहीं होते। पूज्य वे होते हैं जो छोटों के लिए उज्ज्वल आदर्श पेश किया करते हैं।
पैसा
पैसे को इतना भी मूल्य मत दीजिए कि अपनी सुख-शान्ति गिरवी रख बैठे।
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