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प्रेम - हृदय
पवित्र प्रेम है जहाँ, सच्चा स्वर्ग है वहाँ ।
प्रेमोपहार
प्रेम और माधुर्य से बढ़कर उपहार क्या ?
प्रेरणा
जब महावीर और मुहम्मद, नोबल और नेल्सन महान हो सकते हैं, तो हम क्यों नहीं ? आखिर वे भी तो धरती के ही लोग थे ।
प्रेरणा-सूत्र
हम कर्मकांड की बजाय अध्यात्म-प्रधान जीवन जिएँ, भूतभविष्य की बजाय वर्तमान का चिन्तन करें, अंधविश्वास परम्परा-चुस्त
की बजाय विज्ञान पर ध्यान केन्द्रित करें, की बजाय इतिहास समझें और प्रेरणा लें ।
बचपन
जीने का उसूल
कोई कितना भी अच्छा वक्ता क्यों न हो, बचपन में तो
तुतलाता ही है।
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