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जीने का उसूल पाप-पुण्य
कल के पापों पर इतना ध्यान मत दो कि आज के पुण्य बाधित हो जाएँ।
पारदर्शिता
संत का जीवन ऐसा पारदर्शी हो, जिसमें जो चाहे, झाँक सके।
पारस
पत्थर हर कोई हो सकता है, पर पारस वही है जो लोहे को सोना बना दे।
पारस्परिक प्रेम
आपस में प्रेम हो तो कुटिया भी सुख देती है, वरना महल भी किसी काम का नहीं।
पिछड़ना
दौड़ में पिछड़ गए हो, तो चिन्ता नहीं आत्मविश्वास के गहरे साँस लो और दौड़ने के लिए फिर कदम बढ़ा दो।
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