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जीने का उसूल धर्म-शिक्षा
धर्म के आचरण का पाठ उन्हें पढ़ाएँ, जो स्वस्थ विचारों के अनुगामी हैं।
धर्म-स्वरूप
जो धर्म धरती की बजाय परलोक को सुधारने पर बल देता है, वह परलोकवासियों के लिए ही होता है।
धैर्य
क्रोध को जवाब की नहीं, धैर्य की जरूरत है।
ध्यान
बाहर की आँख खोलना जाग है, भीतर की आँख खोलना ध्यान है।
नग्नता
स्नानघर में कोई भले ही नग्न हो, पर समाज के बीच में तो नग्नता आलोचना का ही विषय बनेगी।
नज़रिया
साफ नज़रों से जो चाँद रोशनी भरा दिखाई देता है, वही काला चश्मा पहने जाने पर काला ही नजर आने लगता है।
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