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जीने का उसूल देव और मनुष्य
देवता बनने का सपना देखने वाला व्यक्ति यदि सही मनुष्य भी बना रह जाये, तो बहुत है।
द्वेष की आग चेतना की चादर को भी झुलसा देती है।
धन
धन बहुत कुछ है, पर सब कुछ नहीं है।
धन्य
वे धन्य हैं, जो पंथ की बजाय कर्त्तव्य और ईमान के लिए अपने आप को समर्पित करते हैं।
धब्बा
चाँद सुदी का हो या बदी का, उसमें काले धब्बे तो दिखाई देंगे ही।
धर्म
धर्म पहले चरण में कर्तव्य, दूसरे चरण में नैतिकता और तीसरे चरण में आत्मिक जीवन की उन्नति है।
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