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निर्णय
निर्णय-मूल्यांकन
अपने द्वारा लिये गए निर्णय को भी धैर्यपूर्वक अमल में
लाएँ ।
निर्भय चेतना
यह जरूरी नहीं कि हमारा हर निर्णय सही हो । लिये गए निर्णय के परिणामों का पहले मूल्यांकन कर लीजिए ।
जब, जैसे, जहाँ जीवन का समापन होना है, तब, वैसे, वहाँ समापन होगा ही । फिर भय कैसा ? हम निर्भय चेतना के स्वामी हों।
निर्मल जीवन
जीने का उसूल
निस्तेज
ओ मेरे प्रभु! मेरा जीवन कोरे कागज की तरह हो, ताकि उस पर जो तुम लिखना चाहो, साफ-स्वच्छ लिख सको।
निर्मल प्रेम
निर्मल प्रेम वृन्दावन की सैर है, विकृत प्रेम शूर्पणखा की नकटाई |
उसकी बात नहीं चलती, जो अक्खड़ भी हो और फक्कड़ भी ।
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