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जीने का उसूल
कल्पना
कल्पना केवल कीजिए मत; उसे मूर्त रूप दीजिए। एक छोटी-सी कल्पना किसी नये सृजन का सूत्रधार बन सकती
कविता-पाठ
वह कविता प्यारी लगती है, जिसमें बालक जैसी सुकोमलता
हो।
कसैला
मधुमक्खी विषैली ही क्यों न हो किन्तु उसके द्वारा संचित मधु कभी कसैला नहीं होता।
काँच और लोहा
हम काँच नहीं, लोहा बनें, जो हथौड़े से पिटकर और मजबूत होता है।
काटना
डरो मत, हर मच्छर के काटने से मलेरिया नहीं होता।
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