________________
२४
क्रोध - मुक्ति
क्रोध के दौरान यदि हम एक क्षण के लिए भी शांत हो जाते हैं तो अपने सौ दिनों को दुःखी होने से बचा लेंगे ।
क्षमता - जागरण
गुरुजनों को हाथ दिखाने की बजाय उनसे वह मानसिक शक्ति चाहें, जिससे उलझनों को सुलझाने की स्वयं क्षमता मिल जाये ।
खंडन-मंडन
अपनी समझदारी का उपयोग मंडन के लिए कीजिए, खंडन के लिए नहीं ।
खर्राटा
गुण-दोष उन खर्राटों की तरह है जिनका पता औरों को चलता है, खर्राटा भरने वालों को नहीं ।
खाइयाँ
जीने का उसूल
खाइयों को देखकर घबराइये मत । उन्हें देखकर सम्हलिए और प्रगति की चढ़ाइयाँ पार कीजिए ।
खानपान
खाएँ कम, पचाएँ ज्यादा ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org