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जीने का उसूल
त्याग
त्याग वस्तुओं का नहीं, मन के विकारों का कीजिए। मन के विकारों का त्याग ही सच्चा त्याग है। बाकी सब त्याग के नाम पर ली जाने वाली सांत्वना है।
त्याग-उपलब्धि
त्याग से उपलब्धि भले ही न हो, पर त्याग होने पर उपलब्धि की कामना नहीं रहती।
त्रिवेणी
चन्द्रमा की शीतलता, पुष्प का सौरभ और नारी का हृदय ऐसी त्रिवेणी है जिससे मनुष्य को सदा सकून मिलता है।
दगा
जब मालिक ही दगा देने पर उतारू हो जाए, तो फिर अपना कौन होगा?
दक्षिणा
समर्पित शिष्य ही एकलव्य की तरह अंगूठा दे सकते हैं, शेष तो अंगूठा ही दिखाते हैं।
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