________________
३२
जीने का उसूल जन्म-सार्थकता
जन्म तो गाँधी जैसों का ही सार्थक माना जाएगा, हिटलर जैसों का नहीं।
जबान
जबान को ताले की नहीं, लगाम की जरूरत है।
जवाब
क्रोधी को जवाब क्रोध से नहीं, पहले मौन से और फिर माधुर्य से दीजिए।
जाँच-परख
जाँचे-परखे बिना यह कहना कठिन है कि किस इंसान में कितना दम है और किस हीरे में कितना पानी।
जीवन
जीवन ईश्वरीय देन हो या मात्र संयोग, वह हमारा सृजन न होकर किसी अन्य' का पुरस्कार है।
जीवन-अर्पण
हमारा जीवन भगवान को समर्पित अर्घ्य रहे, जिस ओर दृष्टि उठे, उसी की मूरत दिखाई दे।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org