________________
११
जीने का उसूल आत्म-सुख
कर्मचारी को उस समय आत्म-सुख मिलता है, जब मालिक किसी काम के लिए उसे धन्यवाद देता है।
आत्म-सुधार
दूसरों के द्वारा स्वयं को सुधारा नहीं जा सकता स्वयं के संकल्प से ही स्वयं का सुधार संभव है।
आधार-सूत्र
जीवन से दुर्गुणों को दूर करने के लिए अपने भीतर सद्गुणों के दीप जलाएँ।
आनन्द
जीवन एक उत्सव है। इसके प्रत्येक क्षण को आनन्द के साथ जिएँ; फिर चाहे हानि हुई हो या लाभ।
आयुष्य
आयु एक ऐसा प्याज है, जिसके जितने छिलके उतरेंगे, वह उतना ही छोटा होता जाएगा।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org