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जीने का उसूल एकत्व-बोध
मैं एक हूँ, अकेला ही आया हूँ और अकेला ही जाऊँगास्वयं के इस एकत्व का बोध होना जीवन के द्वार पर संबोधि का सूर्योदय है।
एकजुट
तुम चार हो और रोटी एक, तब भी मिलजुल कर खाओ।
ओंकार
'ओम्' संसार का सबसे सूक्ष्म बीज मंत्र है। इसका निरन्तर ध्यान धरने से चित्त की चंचलता शान्त होती है और प्रबलतम अन्तराय भी कटते हैं।
औरत
औरत चाहे अपनी हो या दूसरे की, उसके प्रति सम्मान तो होना ही चाहिए।
कंजूस
जो सोने के घिसने के डर से अंगूठी नहीं पहनते, वे सोने के उपयोग का आनन्द नहीं ले सकते।
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