Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 5
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 21
________________ अनेकत्व १५. अपदर्शन २३५ ब, अनेक द्रव्य २४५६ ब, अनेक प्रदेशत्व अन्वयदत्ति-२४२२ ब । अनेकान्त ब सातभगी) ११०६ अ, ४.३२३ ब, अन्वयदृष्टान्त-अनुमान १६८ ब, दृष्टान्त २४३८ अ। सापेक्षधर्म (सप्तभगी) ४३२३ ब । अन्वय द्रव्याथिक नय-२५४५ ब । अनेकत्व-११०४ अ, अनेकान्त १.१०६ अ, अन्वयव्यतिरेकी--हेतु ४५४० अ। ११११ अ, ब । अन्वयव्याप्ति-अनुमान १६७ अ । अनेक नय-नय २५२३ ब । अन्ययो-१११२ ब, गुण २ २४३ अ । धर्म (अनेकान्त व सप्तभंगी) ११०९, अन्वर्थ-१११२व। अनेक प्रदेशत्व-सापेक्षधर्म (अनेकान्त व सप्तभेगी। ४३२३ ब। अन्वीक्षा-२६३१ ब । अनेक प्रदेशी-सापेक्ष धर्म (सप्तभंगी) ४.३२३ ब । अन्वेषण-३२६६ ब। अनेकान्त--११०४ ब, अनेकान्तात्मक (स्याद्वाद) अप-२३३३ ब। ४४६७ ब, एकान्त (सप्तभगी) ४३१७ ब, सप्तभगी अपकर्ष-१११२ ब, आयुबन्ध १२५६ अ, आयुकाल ४३१७ ब, सापेक्ष धर्म (अनेकान्त) ११०६ अ, सूख अल्पबहुत्व ११७३ अ। ४४३१ अ, स्यात् ४४६६ अ। अपकर्षण-१११२ ब, दशकरण २६, अन्तरकरण अनेकान्तग्राही-प्रमाण (नय) २५१६ ब । १२५ ब, १२६ अ, ब । गुणस्थान २६ अ। अनेषण-अनशन १६६ अ, तप २३६१ ब । अपकर्षण (कारण-गुणस्थान २६अ। अनैकान्तिक हेत्वाभास-हेत्वाभास ३६१६ ब । अपकर्षण (दोष)-आहार १२६० ब, उद्दिष्ट १४१३ अ। अनोजीविका-सावद्य खरकर्म ४४२१ ब । अपकर्षण प्राभूत (दोष)-आहार १२६० ब । अन्न-१.१११ ब, अभक्ष्य ३२०३ अ। अपकर्ष समा-१११८ अ। अन्नपाननिरोध-१२१६ अ । अपकायिक जीव-अवगाहना ११७६ ब, आयु १.२६४ अ, अन्नप्राशन क्रिया-४.१५१ अ । मन्त्र ३२४७ अ । काय २.४४ ब, जल २३२४, जीवसमास २३४३, अन्नयाचानुद्देश्य--उद्दिष्ट १४१३ अ। निगोद ३५०५ ब, स्थावर ४४५३, ४४५४ ब । अन्नशोधन--आहार १२८५ ब। प्ररूपणा-बन्ध ३१०४, बन्धस्थान ३.११३, उदय अन्य--४५०७ अ। १३७६, उदयस्थान १३६२ ब, उदीरणा १४११, उदीरणास्थान १४१२, सत्त्व ४.२८२, सत्त्वस्थान अन्यत्व---११११ ब । अनुप्रेक्षा १७२ ब, १.७६ अ, ४२६६,४३०५, त्रिसयोगी भग १४०६ ब । सत् एकत्व १७८ अ । ४२०२, सख्या ४१००, क्षेत्र २२०१, स्पर्शन ४.४८३, अन्यथानुपपत्ति--४५३८ अ, ४५४० ब। काल २१०६, अन्तर ११२, भाव ३२२० ब, अल्पअन्यथायक्तिखण्डन–१११२ अ। बहुत्व ११४५ ब। अन्यदेवमूढता-अमूढदृष्टि १.१३२ ब । अपकार-उपकार १४१५ अ, कर्ता कर्म (मिथ्यात्व) अन्यदृष्टि-~अमूढदृष्टि १.१३३ अ। २२३ अ, शरीर ४८ अ। अन्यदृष्टिप्रशंसा-१.११२ अ। अपकृष्ट-१११८ ब। अन्यमती-कर्ता कर्म २ २३ अ । अपक्रम-गति २२३६ अ । अन्ययोगव्यवच्छेद-१.११२ अ, एकान्त १.४६२ अ, अपक्वकर्म-उदीरणा १४०६ ब, १४१० अ। एवकार १.४६७ अ। अपक्वपाचन-उदीरणा १४०६ ब, १.४१० अ । अन्यवश-२.४८६ अ । अपगतवेद-वेद ३.५८५ अ। प्ररूपणा-सत् ४.२२८, अन्यापोह--१.१२८ अ। , सख्या ४१०४, क्षेत्र २२०३, स्पर्शन ४.४८७, काल अन्योन्यगुणकार शलाका--१११२ अ । २१११, अन्तर ११५, भाव ३२२१ अ । अल्पबहुत्व अन्योन्याभाव-१.१२७-१२६ अ। १९४६ ब। अन्योन्याभ्यस्तराशि-१११२ अ, गणित २.२३१ ब, कर्म । अपचय-ओम् १४७० अ । स्थिति २०२३२ ब। अपचित अवयव पद-३.५ अ । अन्योन्याश्रय-हेत्वाभास १११२ अ । अपदर्श-१११८ ब। अन्वय-१११२ अ, द्रव्य २.४५४ ब । अपदर्शन-कूट व देव-निर्देश ३.४७२ अ, विस्तार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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