________________
((६२') , लोग माषा में प्राण "का बागरे पाम्नलिई में राह के विमान की प्रविषाणही होती है और मी मा मो जोन पर वो कि! बाद भणी रे इस लिए मास का पकरता है पृषी की बापा चांद पा र्प पर पड़ती है इस लिए पाद मा सूर्पको जोग पर में प्राण लग गपा ऐसा मामा सो पा
पन मैम समा सार प्रमाणिक ही सर्षों में हो रकी पमका स्वीकार किपा मा पिपापियों को पोग्य बि-योपैन मासादिको मरण करकेमोमपने पतोष में बात रण कि-अब इप्रेम पा पवन जोगों २ मासों के नाम काम में बाए बात है तो महा अपमे भी मिनेन्द्र देव क मति पावम दिए इए मैम पासों के नाम क्यों न म्पबहार में सामे पाहिए ! भपितु भपरप में पही बामे पाहिए।
पौर परि सम्पूर्ण मोविप ना पा सरप मानमा होमे गन्द्रमाप्ति समय प्राप्ति महीपमाप्तिा, मविवार म्पारपामाप्ति स्पादि शामों का नियमपूर्ण स्वाप्पाय करना माहिए ।