________________
जन्म ननिहाल में, तरसाली गाँव में (जिला बड़ौदा) में हुआ था।
उनका जन्मदिन सात नवम्बर 1908 और विक्रम संवत के हिसाब से 1965, कार्तिक सुद चौदस ।
खुद भादरण गाँव के, भादरण चरोतरी पटेलों के छ: गाँव में आते हैं। यह टॉप क्लास चरोतर गाँव में से एक माना जाता है। खुद कृपालुदेव ने भी कहा था कि हमारा जन्म चरोतर में हुआ होता तो और अधिक लोगों का कल्याण होता।
भादरण के पाटीदार मूल अडालज गाँव से आए थे इसलिए दादाजी कहते थे कि, 'हम सभी छ: गाँव वाले मूल रूप से अडालज के हैं।
उनका जन्म संस्कारी परिवार में हुआ था। उनकी मदर जातिवान, कोमल हृदयी, दयालु, स्नेही स्वभाव वाली, बहुत ही समझदार थीं। फादर कुलवान, ब्रॉड विज़न वाले थे और ऐसे थे कि उनमें कोई भी दाग़-चोरी-लुच्चाई देखने को नहीं मिली।
फादर-मदर प्योरिटी वाले और उनका जीवन हमेशा ऐसा रहा कि किस प्रकार से लोगों की हेल्प हो। अंबालाल जी को वे संस्कार बचपन से ही मिले। उनके समय में कहा जाता था कि ऐसी मदर तो शायद ही किसी काल में किसी को मिलती है। यानी कि फैमिली अच्छी, मदर बहुत ही संस्कारी!
खानदानी पाटीदार परिवार में उस ज़माने में दहेज बहुत अच्छा मिलता था। कुटुंब उच्च लेकिन जायदाद कुछ ज्यादा नहीं थी, खानदानी की ही कीमत थी। साढ़े छः बीघा ननिहाल में और दस बीघा भादरण में, इतनी ही जायदाद थी।
लोग दादाजी से पूछते थे कि 'अगर ऐसा पुण्य हो तभी इतनी अच्छी जगह पर जन्म होता है तो फिर आपका जन्म ऐसी वैभवशाली जगह पर क्यों नहीं हुआ? जहाँ बंगला वगैरह सब तैयार मिलते'। दादाश्री कहते हैं कि 'पिछले जन्मों में मैं उस वैभव को देखकर ही आया हूँ। मुझे तो शुरू से ही भौतिक वैभव बिल्कुल भी अच्छा नहीं
21